Powered By Blogger

Friday, September 23, 2011

सर्दियों की सुहानी धूप


आज
मैं खुश हूँ
लगातार बारिश के बाद निकली धूप देखकर
एक मासूम से बच्चे
की फेंकी मुस्कान
देखकर
मेरे घर के छोटे से बगीचे में
एक कली की
पखुड़ियाँ खुली देखकर
बहुत दिनों बाद पिताजी को
बिस्तर से उठ
दो कदम चलते देखकर ।
मेरे जीवन-साथी का
एक खुशनुमा,
सारी खबरें बताता
पत्र पढ़कर
मेरे चेहरे की मुस्कान
डेढ़ इंच हो गई
आँखों की चमक भी
बढ़ गई
छोटी-छोटी खुशियाँ मिलकर
दोगुनी हो गईं
आज मैं खुश हूँ
बहुत खुश हूँ
बहुत समय बाद
सर्दियों की सुहानी
धूप देखकर ।

मोहिनी चोरडिया

Thursday, September 22, 2011

पुरुष और प्रकृति


जब उठाया घूंघट तुमने,
दिखाया मुखड़ा अपना
चाँद भी भरमाया
जब बिखरी तुम्हारे रूप की छटा
चाँदनी भी शरमायी
तुम्हारी चितवन पर
आवारा बादल ने सीटी बजाई  
तुमने ली अगंड़ाई
अम्बर की बन आई
तुमसे मिलन की चाह में
फैला दी बाहें 
क्षितिज तक उसने
भर लिया अंक में तुम्हें, प्रकृति, उसने
तुम्हारे गदराये बदन,
मदमाते यौवन पर,
भँवरे की तरह
फिदा होकर, तुम्हारे रसीले होठों से
रसपान किया उसने ।
नारी ने
तुमसे ही सीखा श्रृंगार, प्रकृति
पुरुष ने सीखी मनुहार
एक रिश्ता कायम हुआ फिर
‘समर्पण’ का
पुरुष की कठोरता और
नारी की मधुरता का
पुरुष की मनुहार और
नारी की लज्जा का
पुरुष और प्रकृति
एकाकार हुए ।

मोहिनी चोरडिया

तुम कहाँ हो ?


पता नहीं,

शायद यहीं कहीं 
नहीं- नहीं 
यहीं
आसपास ही कहीं 
क्योंकि 
तुम्हारी सुगंध ,तुम्हारी सुवास  
कलियों में चटकती है 
फूलों में बसती है 
हवाओं के संग घूमती है |

तुम्हारा अक्स ,तुम्हारी आकृति
कभी बादलों में
कभी पानी में  
खेतों में , खलिहानों में
या की मुंडेर पर बैठे पक्षी के डेनों में
हर कहीं उतरी दिखती है |

तुम्हारी उपस्थिति
भोर की नीरवता में
सांझ के सुकून में
रात की शीतलता में
विश्राम करती महसूस होती है |

तुम्हारी ऊर्जा
हवा की सरसराहट में 
पेड़ों की डोलती फुनगियों में
समन्दर की लहरों में
प्रेमी के पैरों में
घुंघरू बाँध नाचती दिखती है |

तुम्हारे होने का प्रमाण
जनमते बालक के रोने में 
अर्थी के कोने में
मिल ही जाता है |

आस- पास ही नहीं
हर कहीं
तुम हो, तुम ही तो हो |


मोहिनी चोरड़िया




Sunday, September 11, 2011

ताज_ एक अलग अन्दाज़


शाहजहां और मुमताज़ के प्रणय का गान , ताज
एक और प्रणय कहानी का आगाज़ |
यमुना के किनारे ताज,
लिए खडा है किसी की याद
सदियों से दे रहा पैगाम
प्यार दौलत है जिन्दगी की |

यमुना को नाज़ है ताज पर
या ताज को अपनी यमुना पर ?
सांवली सलोनी यमुना ,
दूध धुला, मोती की आभा लिए ताज ,
चाँदनी रात में दोनों बतियाते तो होंगे,
अपनी प्रेम कहानी पर इठलाते तो होंगे |

ताज महान है
क्योंकि ,यमुना का दर्द कभी
होठो तक नहीं आया
उसके किनारे , उसका जल
बस पखारते ही रहे ,ताज के चरण
एक पतिव्रता स्त्री की तरह ,समर्पित से ,

गुम्बज और कंगूरे हो जाते हें महान
नींव की मजबूती से ,
नींव के पत्थर के बलिदान से
लेकिन ,कहाँ मिलते हैं कद्रदान ?
जो समझ सकें दर्द, उस नींव के पत्थर का ,
यमुना के उस कूल का
जिसने ताज को महान बना रखा है |

प्यार भी दौ़लत तभी बनता है
जब दर्द दिल में रहे और होंठ सिले ,
प्यार मांगता है बलिदान ,प्यार मांगता है समर्पण
यमुना के तट की तरह
तभी ताज बनाता हे महान |

मोहिनी चोरडिया




















































































































































































































ताज_ एक अलग अन्दाज़
शाहजहां और मुमताज़ के प्रणय का गान , ताज
एक और प्रणय कहानी का आगाज़ |
यमुना के किनारे ताज,
लिए खडा है किसी की याद
सदियों से दे रहा पैगाम
प्यार दौलत है जिन्दगी की |

यमुना को नाज़ है ताज पर
या ताज को अपनी यमुना पर ?
सांवली सलोनी यमुना ,
दूध धुला, मोती की आभा लिए ताज ,
चाँदनी रात में दोनों बतियाते तो होंगे,
अपनी प्रेम कहानी पर इठलाते तो होंगे |

ताज महान है
क्योंकि ,यमुना का दर्द कभी
होठो तक नहीं आया
उसके किनारे , उसका जल
बस पखारते ही रहे ,ताज के चरण
एक पतिव्रता स्त्री की तरह ,समर्पित से ,

गुम्बज और कंगूरे हो जाते हें महान
नींव की मजबूती से ,
नींव के पत्थर के बलिदान से
लेकिन ,कहाँ मिलते हैं कद्रदान ?
जो समझ सकें दर्द, उस नींव के पत्थर का ,
यमुना के उस कूल का
जिसने ताज को महान बना रखा है |

प्यार भी दौ़लत तभी बनता है
जब दर्द दिल में रहे और होंठ सिले ,
प्यार मांगता है बलिदान ,प्यार मांगता है समर्पण
यमुना के तट की तरह
तभी ताज बनाता हे महान |

मोहिनी चोरडिया

























































































































































































































लिए खडा