Powered By Blogger

Tuesday, November 29, 2011

खनक


हाँ मैं तुझे भुला
न पाऊंगा
जब भी कोई खनकती आवाज़
सुनाई देगी
तुझे आसपास पाऊँगा ।
उदास चेहरे पर
बड़ी बड़ी हिरणी जैसी आँखे
जब भी देखूंगा
और उनकी चमक, जब भी
अपने रंग बिखेरेगी
तुझे आसपास पाऊँगा ।
शर्माती लजाती अदाओं से
दिल को धड़काता
बाहों में समाने को आतुर,
कोई साया,
ऐसा समां जब भी बनेगा
तुझे आसपास पाऊँगा ।
किसी चौदहवीं की रात
चाँद जब झांकेगा खिड़की से
और बाहें मेरी होंगीं आतुर
चांदनी सा बदन समेटने को
तुझे आसपास पाऊँगा |
आसमां में दिखेगा इन्द्रधनुष
फिजां  में तैर रही होगी खुशबु
तुझे आसपास पाऊंगा
हाँ! मैं तुझे
भुला न पाऊँगा ।

मोहिनी चोरडिया 

No comments:

Post a Comment