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Sunday, January 1, 2012

बचपन


गिल्ली -डंडे पर जिसे वारा था 
वो बचपन कितना प्यारा था |
  
मांझे पर चढी पतंग के पेच से जो हारा था  
वो बचपन कितना न्यारा था |
  
आम इमली के पेड़ों से रिश्ता बंनाता 
वो बचपन कितना खिलखिलाता था |

नाना -मामा के प्यार की शीतल छावं में बिताया
वो बचपन कितना दुलारा था |

बारिश के पानी में ,पोखरों में कागज़ की कश्ती बहाता  
वो बचपन कितना हमारा था |

गली -कूचों में बीता बचपन, हाँ ! हमारा था वो बचपन  
जिस पर वारा था, माँ  ने अपना तन-मन 
  
बलैयां लेकर कहा था .........
तीन लोक का राज निछावर इस बचपन पर |

मोहिनी चोरडिया 
चेन्नई 


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