साइबेरिया से उड़कर
आकाश मार्ग से आये
भरतपुर पक्षी अभयारण्य की ज़मी
पर उतरे अतिथी अजनबी ,
आगंतुक पक्षियों का कलरव
इनका संगीतमय कोलाहल
वातावरण की नीरवता को चीरता
कितना सुखद एहसास ?
इनकी चहचहाहट से
इनके गीत गुन्ज़ार से
खिल उठते नदियों के तट
आँखों को तृप्ति देता
तालाबों में इनका जमघट
एक दूसरे से चोंच लड़ाते ,प्यार दिखाते ,
कभी रूठते कभी मनाते
कितना सुहाना समा ?
मौत के भय से अनजान
ये पाखीं, ये पखेरू, ये पंछी नहीं जानते
कब मौत के सौदागर ,शिकारी के जाल में
फंस जाएंगे , और सुदूर रह रहे अपने
हम वतनों से नहीं मिल पायेंगे
अपने नन्हें मुन्नों से दूर हो जायेंगे
कितना हृदय विदारक दृश्य ?
सैयाद इनके आरामगाह में घुसकर
कब इन्हें अपनी बदनीयती का ,
अपनी बन्दूक का निशाना बना दे
और मौत से भयभीत इन परिंदों को
पलायन करने पर मजबूर कर दे
कितना खोफनाक दृश्य ?
डर के कारण ये प्रवासी पक्षी ,शायद
वापस न लौटें
उन पयर्टकों की तरह जो बॉम्बे ताज के
आतंककारियों के डर से लुप्त से हो गए थे
कितना झकझोर देने वाला दृश्य
पक्षी अभयारण्य को भय ,
लुप्त प्रायः होती प्रजातियों की सुरक्षा का अभाव
किसकी जिम्मेदारी ?
सिर्फ सरकार की या हम सब की ?
तो फिर आओ ,साथ-साथ चलें
वातावरण की सुन्दरता को लोटायें
करुणा की चादर फैलायें
पक्षी अभयारण्यो को बचाएं |
मोहिनी चोरडिया
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