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Sunday, January 1, 2012

पक्षी अभयारण्य

साइबेरिया से उड़कर
आकाश मार्ग से आये 
भरतपुर पक्षी अभयारण्य  की ज़मी 
पर उतरे अतिथी अजनबी  ,
आगंतुक पक्षियों का कलरव 
इनका संगीतमय कोलाहल 
वातावरण की नीरवता को चीरता 
कितना सुखद एहसास ?

इनकी चहचहाहट से 
इनके गीत गुन्ज़ार से 
खिल उठते नदियों के तट 
आँखों को  तृप्ति देता 
तालाबों में इनका जमघट 
एक दूसरे से चोंच लड़ाते ,प्यार दिखाते ,
कभी रूठते कभी मनाते  
कितना सुहाना समा ?

मौत के भय से अनजान  
ये पाखीं, ये पखेरू, ये पंछी नहीं जानते 
कब मौत के सौदागर ,शिकारी के जाल में 
फंस जाएंगे , और सुदूर रह रहे अपने 
हम वतनों से नहीं मिल पायेंगे 
अपने नन्हें मुन्नों से दूर हो जायेंगे 
कितना हृदय विदारक दृश्य ?

सैयाद इनके आरामगाह में घुसकर
कब इन्हें अपनी बदनीयती का ,
अपनी बन्दूक का निशाना बना दे 
और मौत से भयभीत इन परिंदों को 
पलायन करने पर मजबूर कर दे 
कितना खोफनाक दृश्य ?

डर के कारण ये प्रवासी पक्षी ,शायद 
वापस न लौटें 
उन पयर्टकों की तरह जो बॉम्बे ताज के 
आतंककारियों के डर से लुप्त से हो गए थे 
कितना झकझोर देने वाला दृश्य 
पक्षी अभयारण्य को भय ,
लुप्त प्रायः होती प्रजातियों की सुरक्षा का अभाव 
किसकी जिम्मेदारी ?
सिर्फ सरकार की या हम सब की ?
तो फिर आओ ,साथ-साथ चलें 
वातावरण की सुन्दरता को लोटायें 
करुणा की चादर फैलायें 
पक्षी अभयारण्यो को बचाएं |

मोहिनी चोरडिया  

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