आज तुम्हारा प्यार
बना रहा साथ मेरे
साये की तरह
चलता रहा साथ
जहां -जहां में गई |
देता रहा दिलासा
अकेले उदास मन को
जैसे तुम देते थे
मेरे कंधे पर प्यार से थपकी ,
उसी तरहं का दुलार
आज फिर मैनें महसूस किया ,जब
सांझ की उतरती
गहरी उदासी ने
घेर लिया मन को मेरे |
तुम ही नहीं
तुम्हारा प्यार भी जानता था
कि सांझ ,मुझे उदास कर देती है
इसीलिये ,साये की तरह
चलता रहा साथ-साथ
जहाँ-जहाँ में गई |
मोहिनी चोरडिया
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