Powered By Blogger

Saturday, December 31, 2011

मुक्तक



 हमने कुछ किया तो उसे
 फ़र्ज  बताया गया 
 उन्होंनें कुछ किया तो उसे
 क़र्ज बताया गया 
आओ! विसंगतियां  देखें जीवन की 
अपनी सुविधानुसार हमें
शब्दों का अर्थ समझाया गया |


पाकर खुशी मेरे
आँसू निकल पड़े ,
उन्होंनें समझा मै दु:खी हूँ 
मै अन्दर उदास,बाहर से हँस रही थी 
उन्होंने समझा मै खुश हूँ ,
चीजें जैसी दिखती हैं
वैसी होती नहीं 
और कभी-कभी जैसी होती हैं 
वैसी दिखतीं नहीं 
तभी तो उन्होंनें, न मेरी हँसी के 
पीछे छिपे दर्द को समझा 
और न उस खुशी को ,
जो आंसुओं में बह रही थी  |


मोहिनी चोरड़िया 


No comments:

Post a Comment