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Saturday, December 31, 2011

सपना एक गरीब लड़की का


तुमने कहा था
जब पूनम का चाँद
बिखेरेगा अपनी चाँदनी
मैं आऊंगा ।
धरती को बिछौना
अम्बर को चादर बनायेंगे हम ।
तारों का कारवां होगा साथ,
गीत गाकर मुस्कुरायेगी चांदनी ।
अम्बर की नीली छटा से सजा होगा
कण कण धरती का,
भोर का तारा बनेगा गवाह,
हमारे प्यार का ।
तुम्हारी पाती हाथ में, और चाँद
आसमां में है
चाँदनी भी साथ में और
सितारों की महफिल भी है,
धरती को सेज बना,
बैठी हूँ मैं
अम्बर की चादर को इन्तज़ार है
तुम्हारे आने का
नज़रें बार बार उठती हैं,
हर पद्चाप दिल को घड़काती है ।
अचानक,
एक हाथ बढ़ा, सम्मोहित सी चल पड़ी मैं,
साथ उसके
गीत गाते, गुनगुनाते,
अंक में भरकर, पार करवाये
उसने मुझे सुन्दर लम्बे रास्ते ।
सुरम्य वादियाँ थीं फूलों की,
और मेरे माथे पर उसके अधर
बेहाशी सी छाने लगी ......
अचानक ‘‘दीदी चाय बन गई है’’
की आवाज़ ने जगाया
मैनें अपने को अकेला पाया
घर की छत पर सोई हुई थी मैं
एक चादर मैली सी ओढ़े हुई थी मैं ।

मोहिनी चोरडिया

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