किसने कहा ?
किसने कहा नेक काम करने का
ज़माना नहीं ?
किसने कहा गम भुलाकर जीना
आसां नहीं ?
पेड़ों को देखो पत्थर मारने पर भी
देते हैं फल
सूरज देता सबको जीवन,
स्वयं ज्वाला में जल
बादल कब देखता किस पर बरसे
किस पर नहीं ?
सूरज की तपन सहकर भी
चन्द्र किरणें बिखरतीं किस पर नहीं ?
आस्था का दामन थामे रहें
फिर देखें,
देर है अन्धेर नहीं
नेक काम लोटेंगे आशीर्वाद बनकर
जो गम सहे, कड़वे घूंट पिये
उतारे गले के अन्दर
वे मौन साधना के क्षण
लौटेंगे सहारा बनकर
बरसेगा प्यार एक दिन उनका
जो समझ नहीं पाये थे
समय की चाल की साजिश, और
दे गये थे जख्म तुम्हें |
सूरज कितना भी पानी पी जाये
समन्दर नाराज़ नहीं होता
पांखी कितने भी फल खा जायें
वृक्ष खफ़ा नहीं होता
सिर्फ मानव ही क्यों खफा होता है,
उसका कुछ ले लेने से ?
मोहिनी चोरडिया
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