मनुष्य तुम हो प्रज्ञावान
मत बने रहो सिर्फ नीतिवान
समझो समय की चाल
करो विवेक का इस्तेमाल, वरना,
वरना करना पडे़गा मलाल ।
जीवन जीने की कला सीखो
वृक्ष लताओं को ही नहीं
प्रकृति के कण कण को सींचो
अन्यथा पडे़गा दुष्काल ।
हवाओं का हमसे रिश्ता है गहरा
हमारी तुम्हारी ज़िद से देखो, पानी भी ठहरा
बहने दो उन्हें अविरल अबाध
तभी देगें ये हमारा साथ ।
मैत्री सदभाव का रिश्ता बनाओ
पशु पक्षियों पर दया दिखाओ
मत करो इन पर जुल्म मनमानी
वरना उठानी पडे़गी हानि ।
बिना इन सबके, जीना है मुश्किल
फिर क्यों बने हो तुम, इतने तंगदिल ?
इन सबका करो कल्याण
वरना करना पडे़गा मलाल |
जिओ और जीने दो की वाणी
सबके लिए है कल्याणी
अध्यात्म से मिलकर विज्ञान भी
हो उठेगा निहाल |
मोहिनी चोरडिया
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