तुम करीब आये हो प्रियतम
मन बन गया मधुबन मेरा
तुमने प्रीत का रस उंडेला
खिल गया मन कमल मेरा |
मंजिल की बात करना
मुश्किल राहों के बगैर
ऐसे ही है जैसे सोचे कोई
एक गुलाब काँटों के बगैर |
फूलों का मुस्कुराना
काँटों के बल पर ही है
वे अक्सर बुरी नज़र का
शिकार हो जाते हैं ,
जिन गुलों की हिफाज़त
काँटे नहीं करते |
मोहिनी चोरडिया
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